राजा शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु, अपने समय की बड़ी वैभवशाली नगरी थी। इसी कपिलवस्तु में राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ और देवदत्त के बीच घायल हंस को लेकर उठे विवाद का निर्णय सुनाया था जिसका सार था की “मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है” | इस राज्य की बहुत सी यादे महात्मा बुद्ध के साथ जुडी है |
राजकुमार सिद्धार्थ ने यही पर जीवन के दुखो को देखकर सन्यास ले लिया और अपने तप और ज्ञान से बाद में वह महात्मा बुद्ध कहलाये, पिता के स्वस्थ खराब होने के बाद एक बार बुध यहाँ आये थे और पिता से दीक्षा ली |
बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद यहाँ भी अवशेष का एक भाग लाया गया और उनके साक्ष्य यहाँ मिलते है कर यह स्थान एक तीर्थ के रूप के प्रशिद्ध है |
यह उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में स्थित है और यह लगभग ९७ किलोमीटर की दुरी पर गोरखपुर से है और नेपाल से सटा हुआ है |